■ तुम जिंदगी हो मेरी ■
■ मुक्तक ■
तुम जिंदगी। हो’ मेरी तुम ही मे’रे खुदा हो
माँगी है ये दुआएँ उनका ही आसरा हो
अब यार क्या सुनाये दास्तान ए मुहब्बत
क्या लुफ़्त अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
नितिन शर्मा
■ मुक्तक ■
तुम जिंदगी। हो’ मेरी तुम ही मे’रे खुदा हो
माँगी है ये दुआएँ उनका ही आसरा हो
अब यार क्या सुनाये दास्तान ए मुहब्बत
क्या लुफ़्त अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
नितिन शर्मा