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16 Dec 2022 · 1 min read

■ ढाका विजय : एक स्वर्णिम अध्याय इतिहास का

#कविता-
■ इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ
【प्रणय प्रभात】

नभ-थल की सेना ने मिल कर दुश्मन को दी थी सीख।
थी साल इकहत्तर माह दिसम्बर की सौलह तारीख़।।
नापाक पड़ौसी ने लाँघी जब सारी सीमाएं।
तब सबक़ सिखाने निकल पड़ीं भारत की सेनाएं।।
धरती गोलों से दहल उठी नभ से बरसी ज्वाला।
माँ रणचण्डी का दूत बना हर सैनिक मतवाला।।
पहले तो धरती के शेरों ने छक्के छुड़ा दिए।
आख़िर में रिपु के होश गगनवीरों ने उड़ा दिए।।
हिस्सा पूरब का मुक्त हुआ दहशती शिकंजों से।
आज़ाद बंग का क्षेत्र हो गया ख़ूनी पंजों से।।
नब्बे हज़ार से अधिक गिरीं संगीनें चरणों में।
इतिहास शौर्य का दर्ज़े हो गया स्वर्णिम वर्णों में।।”

Language: Hindi
1 Like · 274 Views
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