*आए यों जग में कई, राजा अति-विद्वान (कुंडलिया)*
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
कहो जय भीम
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
मिटता नहीं है अंतर मरने के बाद भी,
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
जीवन सुंदर गात
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
कभी-कभी डर लगता है इस दुनिया से यहां कहने को तो सब अपने हैं
बड़े अगर कोई बात कहें तो उसे
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
"भटकाव के बाद हासिल ठहराव सुक़ून देता ही है।"
बात बिगड़ी थी मगर बात संभल सकती थी