■ जम्हूरियत के जमूरे…
■ जम्हूरियत के जमूरे…
“एक चुनावी साल और लाख मुंगेरीलाल। तमाम अगड़े, तमाम पिछड़ें। सब बिल्ली से, ढूंढ रहे हैं छिछड़े।।”
●प्रणय प्रभात●
■ जम्हूरियत के जमूरे…
“एक चुनावी साल और लाख मुंगेरीलाल। तमाम अगड़े, तमाम पिछड़ें। सब बिल्ली से, ढूंढ रहे हैं छिछड़े।।”
●प्रणय प्रभात●