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7 Jan 2023 · 1 min read

■ छोड़ो_भी_यार!

आज के विशुद्ध व्यावसायिक युग मे सहजता, सरलता और आत्मीयता के कोई मायने नहीं। “विकर्षण में आकर्षण” वाली बात आज अधिक प्रासंगिक है। दुनिया की चाहत में अव्वल वो होगा, जो नसीब होना मुश्किल हो। मतलब “दूर के ढोल सुहावने”, “घर की मुर्गी दाल बराबर” या “घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध’।” ऐसे लोगों के लिए ही कहा गया है शायद, “घर की खांड किरकिरी लागे, औरन का गुड़ मीठा।” ऐसी सोच वालों से किनारा करना ही अपना मूल्य बढाना है।
【प्रणय प्रभात】

Language: Hindi
1 Like · 174 Views
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