■ ग़ज़ल / बात है साहब…!!
#ग़ज़ल
■ बात है साहब…!!
【प्रणय प्रभात】
★ दोगलों की जमात है साहब!
दोस्तों की ही बात है साहब!!
★ आज सूरज का ज़िक्र बेमानी।
आज तो काली रात है साहब!!
★ लफ़्ज़ बेशक़ शहद से मीठे हों।
उनकी नीयत में घात है साहब!!
★ आस्तीनों में अनगिनत विषधर।
ये भी अपनी बिसात है साहब!!
★ ज़िंदगी एक खेल है जिसमे।
शह नहीं सिर्फ़ मात है साहब!!
★ जिनकी फ़ितरत में है वफ़ादारी।
उनकी किस्मत में लात है साहब!!