बच्चों के खुशियों के ख़ातिर भूखे पेट सोता है,
23/131.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
खुद को खोने लगा जब कोई मुझ सा होने लगा।
Sub- whatever happen happens for good
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
*पाई जग में आयु है, सबने सौ-सौ वर्ष (कुंडलिया)*
नफरतों के_ शहर में_ न जाया करो
" हर वर्ग की चुनावी चर्चा “
"There comes a time when you stop trying to make things righ
सब जाग रहे प्रतिपल क्षण क्षण
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल