शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
पति मेरा मेरी जिंदगी का हमसफ़र है
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
जिस सादगी से तुमने साथ निभाया
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
गांव में फसल बिगड़ रही है,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
इश्क की वो इक निशानी दे गया
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
CISA Certification Training Course in Washington