■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक ब
■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक बिना आवाज़ लेनी पड़ती है। दूसरे पर कोई पाबंदी नहीं। मन चाहे जिसे काटे, जी करे उसे काटे।।
■प्रणय प्रभात■
■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक बिना आवाज़ लेनी पड़ती है। दूसरे पर कोई पाबंदी नहीं। मन चाहे जिसे काटे, जी करे उसे काटे।।
■प्रणय प्रभात■