■ आज की ग़ज़ल
#ग़ज़ल
■ फ़िक़्र दीवाने को है…।।
【प्रणय प्रभात】
★ हो रहा मद्धम उजाला तीरग़ी छाने को है।
सुरमई सी साँझ कहती है कि शब आने को है।।
★ रख तो दी है खोल कर हमने किताबे-ज़िंदगी।
पास में अपने नहीं कुछ और बतलाने को है।।
★ भूल के उम्मीद मत कर बैठना इमदाद की।
अहले-दुनिया दिलजलों पे संग बरसाने को है।।
★ दिल के आले में रखा है इक शिकस्ता आईना।
किरचियाँ बिखरें नहीं ये फ़िक़्र दीवाने को है।।
★ है थिएटर की तरह दुनिया समझ मे आ चुका।
और ये नाचीज़ सब के दिल के बहलाने को है।।
★ थक चुकी कुछ महफ़िलें तन्हाइयों की चाह में।
कहकहों की चाहतें सुनते हैं वीराने को है।।
★ दिल-ज़हन दोनों की ख़्वाहिश में फ़क़त सैलाब है।
कल तलक जितना सहेजा आज बह जाने को है।।
★ राब्ता शबनम से रह पाता तो मिलती ताज़गी।
एक गुल जो कल खिला था आज मुरझाने को है।।
【कैफ़ियत के पलों में एक बेहतरीन गलत 18 मिनट में हो जाती है। मिसाल आपके सामने है】😊😊