■ आज का मुक्तक
■ निष्कर्ष और संकल्प…
विगत दिवस तरह-तरह के अनुभवों से भरपूर जीवन के 55 वर्ष पूर्ण हो गए। अब यात्रा 56वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। अग्रसर होती रहेगी। प्रभु कृपा के संरक्षण में, पूरी सामर्थ्य के साथ। यही प्रेरणा है जो आगत के प्रति विश्वास जगाती है।
【प्रणय प्रभात】