खुद पर भी यकीं,हम पर थोड़ा एतबार रख।
दो जून की रोटी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
तेवरी ग़ज़ल से अलग कोई विधा नहीं + डॉ . परमलाल गुप्त
*पानी सबको चाहिए, सबको जल की आस (कुंडलिया)*
नकारात्मक लोगो से हमेशा दूर रहना चाहिए
दुख दें हमें उसूल जो, करें शीघ्र अवसान .
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
आप की है कोशिशें तब नाकाम होती है।
शीर्षक-मिलती है जिन्दगी में मुहब्बत कभी-कभी
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रात ॲंधेरी सावन बरसे नहीं परत है चैन।