■ आज का चिंतन…
#चिंतन
■ सबसे__अच्छा_बुरा_वक़्त
【प्रणय प्रभात】
बुरे वक्त से ज़्यादा अच्छा वक्त कोई हो ही नहीं सकता। इसमें पता चलता है कि आप कितनी ग़लतफ़हमियों, कितने मुगालतों में जी रहे थे अब तक। पता यह भी चलता है कि आपके साथ अच्छे और मंहगे परिधानों वाले कितने नंगे और भिखमंगे थे। साथ ही पता चलता है कि आपकी औक़ात आपके कथित अपनों की नज़र में क्या थी। यही नहीं साहब! पता यह भी चलता है कि व्यावहारिकता का कहीं कोई मोल नहीं। साथ ही यह भी कि जीवन में व्यावसायिकता क्यों अपनाई जानी चाहिए।
ईश्वर को लाखों-लाख नहीं, करोड़ों धन्यवाद देना तो बनता ही है, जिसने सही समय पर आंखें खोलने के साथ-साथ कड़ा और कड़वा बोलने के लिए एक विषय दिया। सलाम बुरे समय और बदतर हालातों को। जो आईना दिखाने और झूठे भरम मिटाने वाले रहे। बेहद शुक्रिया…!!