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17 Jan 2023 · 1 min read

■ आज का चिंतन…

■ क्या बदला…? कुछ नहीं…!!
【प्रणय प्रभात】
लोकतंत्र और राज तंत्र में कोई बहुत अधिक अंतर नहीं है। अंतर बस इतना सा है कि पहले वाले रेशमी, मखमली परिधान अव खादी या सूती हो गए हैं। मुकुट की जगह टोपी ने ले ली है। बाक़ी लगभग वैसा ही है, जैसा रजवाड़ों के युग मे हुआ करता था। वही ज़मीदार, जागीरदार, सामंत, सभासद, मंत्री, सलाहकार और राजे-महाराजे। देश काल और वातावरण सब पहले जैसा। पहले बाण विषैले होते थे, अब बैन (बोल) विषाक्त हैं। आप भी सोचना कभी इस बारे में। पता चलेगा कि कुछ नहीं बदला सिवाय ऊपरी कलेवर के। कुल मिलाकर छल ही छल। आज माने वही बीता हुआ कल, जो हर दिन ख़ुद को दोहराता रहता है बस। छलावों से परिपूर्ण किसी छलिये की तरह।

Language: Hindi
1 Like · 257 Views
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