■ आज का गीत
#गीत :-
■ कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना…?
【प्रणय प्रभात】
दर्द कितना है एक ने न जाना।
कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना?
★ फूल बहुत पर गंध नहीं है,
लहरें हैं तट-बंध नहीं है।
शब्द बहुत पर छंद नहीं है,
वादे हैं अनुबंध नहीं है।
ऐसी दुनिया से मोह क्या बढ़ाना!
कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना?
★ रिश्ते को पहचान न पाए,
भावों पर दे ध्यान न पाए।
अपनेपन को जान न पाए,
समझे लेकिन मान न पाए।
उस जमाने से प्रीत क्या लगाना!
कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना?
★ श्रद्धा ना विश्वास बचा है,
पीर बची, संत्रास बचा है।
घायल सा अहसास बचा है,
ज़ख्मों का आभास बचा है।
दिल बना है सभी का ठिकाना।
कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना?
★ चीज़ कोई तेरी ना मेरी,
धड़कन-धड़कन पीर घनेरी।
जीवन है सांसों की फेरी,
दिन के पीछे रात अंधेरी।
दिल तभी तो पड़ा है जलाना।
कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना?
★ चार दिशाओं में रस्ते हैं,
नाग विचारों के डसते हैं।
तलवों में छाले बसते हैं,
पग-पग पे ताना कसते हैं।
तब निकलता है दिल से तराना।
कैसे कह दूं कि साथ है ज़माना?
■ प्रणय प्रभात ■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)