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*प्रणय*
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17 Mar 2024 · 1 min read
■ आखिरकार ■
■ आखिरकार ■
“हुआ अरसा क़लम ख़ामोश ही थी।
इसे मुद्दत में कुछ कुछ होश आया।।”.
◆प्रणय प्रभात◆
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