सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
बूढ़ा हो बच्चा हो या , कोई कहीं जवान ।
कविता - " रक्षाबंधन इसको कहता ज़माना है "
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
क़दम-क़दम पे मुसीबत है फिर भी चलना है
अभी तो रास्ता शुरू हुआ है।
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही