√√ घूम-घाम सब आए (गीत )
घूम-घाम सब आए (गीत )
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घर से निकले, रिक्शा पकड़ी, घूम-घाम सब आए।
(1)
हमको भाता शहर पुराना, गलियाँ पतली-पतली
चार जने अपने दिखते हैं ,रुके, बात कुछ कर ली
महानगर के फ्लैटों के सूनेपन हमें न भाए
घर से निकले, रिक्शा पकड़ी, घूम घाम सब आए
(2)
इन फ्लैटों में आते-जाते लोग नहीं दिखते हैं
एक रजिस्टर मेन गेट पर, नाम जहाँ लिखते हैं
बरसों से रह रहे पड़ोसी को पहचान न पाए
घर से निकले, रिक्शा पकड़ी, घूम घाम सब आए
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रचयिता :रवि प्रकाश, रामपुर