••जी लो ज़िंदगी••
ज़िंदगी का क्या भरोसा,
कब मौत के आगोश में चली जाये।
उससे पहले क्यों न,
ज़िंदगी जी ली जाये।
जियो ज़िंदगी खुल के जियो ,
खुशियों और गमों को किसी के साथ बाँटो,
यूँ अकेले-अकेले न पियो।
बिंदास बोलो खुल के हँसो,
मत समझो ये दुनिया अंजानी है।
हर कोई अपना है बस पहचान बनानी है।
हर पल कुछ नया सीखाता है ,
बिंदास ज़िंदगी जीने वाला ,
ही सीख पाता है।
भावुकता में निर्णय लेने वालों को,
कायर कहा जाता है।
उनमुक्त व्यक्ति हर किसी पर,
अपनी छाप छोड़ जाता है।
-रागिनी गर्ग