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11 Sep 2022 · 1 min read

प्यार बन गया व्यापार

** प्यार बन गया व्यापार **
**********************

क्या बात करूं मैं प्यार की,
प्यार बन गया है व्यापार।

हर बात समझ से बाहर है,
कैसे चल रहा है संसार।

मानव मानव का शत्रु बना,
कहाँ पर ढूंढें प्रेम – प्यार।

लोभी हो गया जगत सारा,
मोह-माया में सब सरोबार।

गुजारिश भी काम न आई,
दिल से भी किया सत्कार।

भलाई नहीं कुछ काम की,
लोग करते रहते दुर्व्यवहार।

मेरी अक्ल गई सारी मारी,
दुनियादरी बहुत समझदार।

मनसीरत हालत देश की,
फंसी जाति धर्म मंझदार।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
97 Views
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