॰॰॰॰॰॰*बाबुल का अँगना*॰॰॰॰॰॰
बाबुल का अँगना छोड़,विवहा की डोर से बंध जाऊँ॥
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बाबुल का अँगना छोड़, एक नया आशिया बनाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, खुद की नयी दुनिया सजाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, सात वचनो को निभाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, दुल्हन बन साजन के घर को जाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, पिया के प्यार में रंग जाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, नये रिश्तों से जुड़ जाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, सभी रीति-रिवाजों को निभाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, साजन के अँगना को महकाऊँ।
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बाबुल का अँगना छोड़, अपने वंश को आगे बड़ाऊ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, दिल में सबके अपनी एक नयी जगह बनाऊँ।।
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बाबुल का अँगना छोड़, विवहा की रस्म से बँध जाऊँ॥
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रचनाकार -😇 डॉ० वैशाली ✍🏻