७ दोहे, दुध से बस तरंगिणी निकाल निकाल देख ।
दुध से बस तरंगिणी निकाल निकाल देख ।
खुद से सहज कहानियां, निकाल निकाल देख ।।
धन रे तू तो धन्य है, कर देता है अन्य ll
धर्म तू सही धन्य है, अपराध करे शून्य ll
पल पल व कण कण बस बस, रहे झूठ ही झूठ ।
अबका सत्य रुदन करे, जो मिटा रही झूठ ।।
कैसी अबकी जिन्दगी, भरा भरा उत्कोच l
बेचने कई जिंदगी, क्यों करता संकोच ll
नियत से सहज नेक है, बस है इश्वर एक l
मानव रे नेक बनने, अब बस माथा टेक ll
जिसने जानी प्रीत ना, ना है जाना जन्म ।
करें जुल्म पर जुल्म है, पर ना समझे जुल्म ।।
बड़ी खुशहाल जिंदगी, कर्म कमाल कमाल l
बड़ी बदहाल जिंदगी, कर्म मलाल मलाल ll
अरविन्द व्यास “प्यास”