१८ सावन
फिर एक बार झूम के आया सावन
लाया अपने संग ख़ुशियों का आँगन
हम सबके दिल में भरने मीठा प्यार
अब आएँगे सारे ख़ुशियों के त्यौहार।
काले बादल उमड़ेंगे, घनी घटा बढ़ेगी
इस धरती पर बारिश की बौछार गिरेगी
इस सुनहरी मिट्टी से सौंधी ख़ुशबू उठेगी
अल्हड़ बचपन की सभी पुरानी याद लौटेगी।
गिरेगी जब धरती पर बारिश की फूहार
पुलकित हो उठेगा हर फ़ूल और प्यार
माँ कहेगी अपने लाडलों से एक बार
भीग आओ बरसात में, मज़े की है बौछार।
इस सावन के आने से धरती हुई पावन
नदियों और तालाबों में आया नया जीवन
जल मगन होगा अब यह सारा समा
पेड़ पौधों, खेतों में जन्मेगा नया जहाँ।