१८ जन्मदिन
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मेरे प्राण,मेरे प्रिय हृदय पुष्प और मेरे नयनों के तारे
आज जन्मदिन है तेरा,तुझे सुख मिलें वैभव सारे।
हो मुबारक जन्मदिवस का
मधुमय ज्योतिर्मय मंगल विहान।
पुष्प बनकर तू खिले सदा
हो सदा आरोहण,विजय कल्याण।
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थी नव प्रभात रजनी बेला जब नंदन,
सुत तुने जन्म लिया।
उस यामिनी सूर्य उदय हुआ,
नभ नहीं मम आँचल में ।
तब नयन भरी,दिव्य ज्योति,
उल्लास भरा था हर पल में।
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गुनगुनी खुशबु और ऊष्मा से
महकी थी उर की कलियां।
पीड़ा टीस के झोली से
निकलीं गुनगुनाती तितलियाँ ।
उड़ने लगीं थीं मेरे चारो ओर,
ज्यूं रात में हो गई हो भोर।
तुमको देखा तो एहसास हुआ,
कान्हा ने दी हो जैसे दुआ।
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सुन तनय तुझी से हर खुशी मेरी
और तू वैभव,संजय-नीलम आशा !
सुन,तुझी से हमारे चेहरों पर
खिलती रौनक है हमेशा ।
सुन,गर्व मेरे, मेरे अभिमान,
कुछ और तू चाहे जो भी बन
पर बनना पहले नेक इंसान,
जो रहेगी सदा तेरी पहचान।
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सुन,तु पहचान मेरे जीवन की बेटा
तू ही परिणाम मेरे पुण्यों का बेटा।
रहे जीवन मूल्यों का ध्यान बेटा।
जीवन की आपाधापी में
तू रहना ज़रा सावधान बेटा।
तेरी प्रगति,सन्मति,उन्नति का
सदैव गतिमान हो सफलता रथ
नित अविरल पग तेरे बढ़ते रहें,
सुकोमल सुदृढ़्, हो जीवन पथ।
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आत्मज बरसे कान्हा की कृपा
तेरा हृदय सदा सुख से हरसे।
सुख शांति,समृद्धि,आनंद
सदा ही तुझपे वागेश्वरी बरसे।
सुन,नवल चेतना,नवल भाव,
उत्साह नया, हो सदैव नव आशा ।
नई मंजिलें,राह नई,उपलब्धि
नई बनें सफलता की परिभाषा।
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तू पुलकित कर प्रतिपल अभिनव
वैभव उल्लास भरे तन मन में,
18वां बसंत शुभ-जन्मदिवस पावन
अनंत सुखों को ले उतरे जीवन में !!!
नीलम शर्मा