॥माँसाहार मानव भोजन नहीं॥ हाइकु
माँसाहार का,
प्रभाव होता बुरा,
शरीर पर ॥1॥
नर हुआ है,
दानव निरा भूखा
खाता जीवों को॥2॥
सूझता नहीं,
उसे कुछ,मारता,
बेक़सूरों को॥3॥
पेट भरना,
कैसे भी हो अपना,
हिंसक हुआ ॥4॥
गाय या मुर्गा,
जीव सभी में एक,
बूझे, क्यों न ॥5॥
मृत हुआ है,
मन, तन भी है जो,
देवदुर्लभ॥6॥
निदर्शन है,
मानव, दानव का,
वर्तमान में॥7॥
ऐसा क्यों है?
सोचता नहीं, मानव,
सूनसान में ॥8॥
उपकृत है,
ईश्वर के प्रति जो,
कलेवर का॥9॥
करे प्रहार,
स्वजन पर क्यों न,
रहम आए ॥10॥
##अभिषेक पाराशर ##