। माँ- हर सांस उसका उधार हैं ।
। माँ- हर सांस उसका उधार हैं ।
माँ अस्तित्व है
प्रकृति की गोद है
जंहा शब्द नही
सिर्फ अनुभव है
माँ भाग्य वरदान है,
जन्नत का सुकून है
प्रेम का अंबार है
सांस उसका उधार है
दुनियां के हर रिश्ते में
ऊंचा रिश्ता माँ का है
ईश्वर का तो पता नही
लेकिन माँ में ईश्वर बसता है…
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
विश्वरीकोर्ड पुरस्कृत कवि
मुम्बई