गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
यह जिंदगी मेरी है लेकिन..
ज़ुल्फो उड़ी तो काली घटा कह दिया हमने।
Panna mai zindgi ka agar fir se palatu
तेरे चेहरे की मुस्कान है मेरी पहचान,
मां का लाडला तो हर एक बेटा होता है, पर सासू मां का लाडला होन
#हिरदेपीर भीनी-भीनी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी