रमेशराज की गीतिका छंद में ग़ज़लें
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
फ़ना से मिल गये वीरानियों से मिल गये हैं
उल्फ़त .में अज़ब बात हुआ करती है ।
शादी होते पापड़ ई बेलल जाला
मोहब्बत ने मोहतरमा मुझे बदल दिया
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"बदतर आग़ाज़" कभी भी एक "बेहतर अंजाम" की गारंटी कभी नहीं दे सक
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
आनेवाला अगला पल कौन सा ग़म दे जाए...
जिसने अपने जीवन में दुख दर्द को नही झेला सही मायने में उसे क
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
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मैं उसकी निग़हबानी का ऐसा शिकार हूँ
परो को खोल उड़ने को कहा था तुमसे