"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
गूंजा बसंतीराग है
Anamika Tiwari 'annpurna '
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
रोशन है अगर जिंदगी सब पास होते हैं
अगर आज मेरे पास भी शोहरत और पैसा होता तो हम भी आज हर किसी की
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़
निष्काम कर्म कैसे करें। - रविकेश झा
*यादें कोमल ह्रदय को चीरती*