मैं तुझसे नज़रे नहीं चुराऊंगी,
दलितों जागो अपना उत्थान करो
निष्काम कर्म कैसे करें। - रविकेश झा
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हरियर जिनगी म सजगे पियर रंग
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
चुप रहनेवाले को कमजोर नहीं समझना चाहिए
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
दिखता नही किसी को
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'