रंगो की रंगोली जैस दुनिया ,इस दुनिया के रंग में मैं कुछ इस
हम यथार्थ सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं
*शादी के पहले, शादी के बाद*
"नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
- उसकी आंखों का सम्मोहन -
*भारतीय जीवन बीमा निगम : सरकारी दफ्तर का खट्टा-मीठा अनुभव*
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
रास्तों पर चलने वालों को ही,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
कविता का अर्थ
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
कोरोना और मां की ममता (व्यंग्य)
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।