मुश्किलें लाख पेश आएं मगर
अब न जाने क्या हालत हो गई,
*व्याख्यान : मोदी जी के 20 वर्ष*
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
उसके बदन को गुलाबों का शजर कह दिया,
तुझ से मोहब्बत से जरा पहले
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
- में अजनबी हु इस संसार में -