-:।। श्री राम नगरी ।।:-
गंगा तो पाप नशिनी सरयू हैं मोक्ष दायिनी
धन्य अयोध्या नगरी जहां बहती हैं सरयू पावनी
अयोध्या तो न्यारी जहां बसती हैं जनक दुलारी
बजरंगी निवास से लगती हैं नगरी प्यारी
श्री राम धाम से लगती हैं धरती न्यारी
वहां कण-कण में राम घर-घर हैं सीता प्यारी
चहु ओर देखने पर लगती छटा न्यारी
तुलसी कथा में लगती हैं झलक तेरी प्यारी
आज भी प्रजा जोहती राह श्री राम तुम्हारी
एक बार फिर से आ जा संग जनक दुलारी