-:।। विदाई ।।:-
विदाई समय घरवा छोड़ली बिटिया।
छूटे मात पिता अब रही प्रितिया।
छूट गए सखी भाई बहन पितियां।
माता सिखावत दूघ लजाना नहीं बिटिया।
एक द्वार चड़ावत माता पीर हिया में।
दूजे उतारत माता हर्ष हीया में।
एक घर गावत बाजत ढोल नगारे।
दूजे बहावत नीर के धार है द्वारे।
आवत जात ही लोग खड़े दोनों द्वारे।
ओंकार जियो जैसे यश गान रहे दोनों द्वारे।