-:।। परिवार ।।:-
मुझे वसिहत ना मिली ना मिला उपहार।
मुझे तो मिला लोगो का प्यार ही प्यार।
चरित्र, चिंतन, चेतना समन्वय का हो परिवार।
संयम सेवा सहिष्णुता ही परिवार का आधार।
जीवन का आधार होता परिवार का संस्कार।
कुछ हो ना हो इसे होता सूखी संसार।
मुझे वसिहत ना मिली ना मिला उपहार।
मुझे तो मिला लोगो का प्यार ही प्यार।
चरित्र, चिंतन, चेतना समन्वय का हो परिवार।
संयम सेवा सहिष्णुता ही परिवार का आधार।
जीवन का आधार होता परिवार का संस्कार।
कुछ हो ना हो इसे होता सूखी संसार।