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2 Mar 2022 · 1 min read

।।यही ज़माने का दस्तूर है।।

यही जमाने का दस्तूर है
जो मिला उसका शुक्र नहीं,
जो नहीं मिला बस उसका फितूर है….
हर शख्स उलझा है उलझनों में अपनी, न सुलझे पहेली यही उसका कुसूर है…

बदल दे जो रुख अपना तू,
सुलझ जाए हर उलझन जिंदगी की… पर कहां ?तू तो अपनी आदत से मजबूर है !!
यही जमाने का दस्तूर है!!
अंजना जैन

Language: Hindi
1 Like · 208 Views
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