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10 Oct 2018 · 1 min read

।।उंचाईंयाँ।।

कहीं दूर से आती हुई मन की हिलोरें
कभी हिलती डुलती कभी उफनती हुई
कभी एकदम शांत सी हो जाती है।
हिचकोले लेते हुए फिर से
समुंदर में मिल जाती है और बिखरे हुए
अंतर्मन को बहाकर ले जाती है।
कभी उंचाइयों में कभी गहराईयों में
ले जाकर धीरे से कानों में कुछ कहकर
इस अंतर्मन को बेहद खूबसूरत बना जाती है।
मन की लहरों से उठती हुई धाराएँ
नित नई ऊँची उड़ान भरकर और भी
उच्च शिखर तक ले जाना चाहती है।
कुछ दूर तक पहुँच कर मन को तसल्ली देकर
इस मन की व्यथा को टटोलकर अदभुत
खुशियो का खजाना दे जाती है।
एक गहरी सी ठंडी हवाओं के बीच में
मन की गहराईयों में ना जाने क्या कुछ
समेटकर बहा कर ले जाती है।
श्रीमती शशिकला व्यास ..
भोपाल मध्यप्रदेश
*जय माता दी ??
राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ***

Language: Hindi
254 Views
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