य़ाद
होंठों पे अपने साज कोई सजाना चाहती हूँ,
गीत प्यार का आज कोई गुनगुनाना चाहती हूँ,
थक गयी हूँ मैं, उन्हें य़ाद करा करके ,
अब उन्हे भी तो मैं य़ाद ज़रा आना चाहती हूँ |
होंठों पे अपने साज कोई सजाना चाहती हूँ,
गीत प्यार का आज कोई गुनगुनाना चाहती हूँ,
थक गयी हूँ मैं, उन्हें य़ाद करा करके ,
अब उन्हे भी तो मैं य़ाद ज़रा आना चाहती हूँ |