फ़िर तेरी याद सता रही है…..
तू अपनी शौहरत में मुझको भूल चुकी है,
लेकिन मुझे रह-रहकर याद आ रही है ।
मैं तो था सोता हुआ आवारा बेगाना-सा,
फिर तू मुझको क्यूँ बिरहा से जगा रही है ।
बेपरवाह हुआ मैं तेरी मख़मली बातों से,
तूने मुझ जब-जब बहकाया ।
तेरी हर बात को समझ इबादत,
बन तेरा दीवाना सारी दुनिया से टकराया ।
मैं करता बेइंतहा मोहब्बत आपसे,
साँस इस बदन में है जब तक ।
मुझे कहा छोड़ चला गया,
यादों में तेरी रोते-रोते सूख ये हलक ।
नज़र नहीं आया तुझे दौलत के सामने,
मेरा तेरे प्यार में समर्पित हो जाना ।
तूने मुझे भुलाकर बेगाना बना दिया,
हरगिज़ नहीं चाहता मैं तुझे यूँही खोना ।