फ़लसफ़ा -ए- ज़िन्दगी
साँसों के तार पर लम्हों के हिस़ाब पर टिकी हुई है ये ज़िन्दगी ।
मुफ़लिसी में कटे या अमीरी में खाली हाथ जाएगी ये ज़िन्दगी ।
जुस्तजू में सुक़ून के और खुश़ी की आरज़ू में बीत जाएगी ये ज़िन्दगी।
ना पल का पता ना कल का पता बड़ी बेइख्त़ियार है ये ज़िन्दगी।
ना जाने कौन सा पल मौत की अम़ानत हो बड़ी बेसाख्त़ा सी है ये ज़िन्दगी।