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9 Dec 2020 · 1 min read

फ़कीर

*********** फ़क़ीर ***********
****************************
न रहे राजा और न रहे राजा के वजीर
जग में नहीं रहे अब पहुँचे हुए फ़कीर

नशे की लत ने मारें हैं बाँकुरे जवान
न रही खुराकें और न रहे स्वस्थ शरीर

फुकरापंथी में लीन रहें आज के रांझे
नहीं मिलते आशिक़ जैसे रांझा हीर

मेहनतकश लोगों की जग में जरुरत
नहीं तो रोना रोते रहते फूटी तकदीर

नहीं रहे कथनी और करनी के पाबंद
जेबों में ले कर घुमते रहते हैं तस्वीर

बदल चुकी हैं पूजा उपासना शैलियाँ
भगवान के भी बदल गए नाम नजीर

मनसीरत बदल गए फैशन और ढंग
नहीं रहे अब लोग लकीर के फ़क़ीर
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली कैथल)

Language: Hindi
2 Comments · 356 Views
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