ज़ुल्मत
घर से निकल रहे हो
इतना खयाल रखना
ज़ुल्मत की इंतेहा है
तुम एहतियात रखना
दाढ़ी और टोपियों से
जलती हैं जिनकी जाने
निकले हैं भेड़िए कुछ
आदम की ख़ाल डाले
खुद का ख़याल रखना
बस एहतियात रखना
ज़ालिम है हुक्मरां और
गूंगे हैं सब सियासी
क्यों तेरे हक़ में बोलें?
ज़ुबानें वो अपनी खोले?
खुद पर यकीन रखना
और ज़ुल्मतों से लड़ना
घर से निकल रहे हो
इतना खयाल रखना
ज़ुल्मत की इंतेहा है
तुम एहतियात रखना
17 अगस्त 2020
9:33 pm