ज़िन्दगी हम सजाने लगे
स्वप्न आकर तुम्हारे हमें, रात दिन अब सताने लगे
रंग आँखों में भरकर नये ज़िन्दगी हम सजाने लगे
जानते थे न होती सरल,प्यार की कोई सी भी डगर
इसलिये ज़िन्दगी में सदा डरते डरते किया है सफर
जब मुलाकात तुमसे हुई सभी को दिवाने लगे
रंग आँखों में भरकर नये, ज़िन्दगी हम सजाने लगे
हम उठाते नहीं कुछ कदम,
रहते खामोशियाँ ओढ़ कर
डर नहीं था ज़माने का भी, बात इतनी ही रहती अगर
झाँककर स्वप्न दिल में मगर राज सबको बताने लगे
रंग आँखों में भरकर नये, ज़िन्दगी हम सजाने लगे
हर समय ही लिपटने लगीं
हमसे आ आ के बेचैनियाँ,
अब अधर पर बिना बात ही, करती मुस्कान अठखेलियाँ
आज हालात ये हो गए अब दिवास्वप्न आने लगे
रंग आँखों में भरकर नये, ज़िन्दगी हम सजाने लगे
आइने में हमारी जगह, अक्स आता तुम्हारा नज़र
आ खड़े होते तुम सामने, बन्द आँखें करें हम अगर
बात ही बात में तुम हमें अब हमी से चुराने लगे
रंग आँखों में भरकर नये ज़िन्दगी को सजाने लगे
डॉ अर्चना गुप्ता