Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Aug 2018 · 1 min read

“ज़िन्दगी पर किताब लिखूँगा”

इक़ दिन मैं अपनी ज़िन्दगी पर क़िताब लिखूँगा
दिल में उठते हैं कई सवाल उनके जवाब लिखूँगा

इक़ इक़ लम्हा ख़ुशी ग़म का गर्दिशें ख़्वाब लिखूँगा
कुछ पूरे होंगें कुछ रह जायेंगे अधूरे ख़्वाब लिखूँगा

जाने कितनी तकलीफें हँस हँसकर पी गया हूँ मैं
लहू बन गया है अब तेज़ाब, लहू को तेज़ाब लिखूँगा

मुसीबतों को मैं नहीं ढूढ़ता मुसीबतें मुझें ढूढ़ लेती हैं
मेरे हिस्से ना आ सका ख़ुशगवार पल अज़ाब लिखूँगा

इक़ ज़माने से आँखों में पानी ही लिए फ़िरता रहा मैं
वो पानी भी बन गया शराब पानी को शराब लिखूँगा

मैं इक़ फ़साना लिखूँगा ज़िन्दगी का विराना लिखूँगा
मैं क्यूं रहा तन्हा कुछ ना छुपाउँगा हर अस्बाब लिखूँगा

—–अजय “अग्यार

360 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी
जिंदगी
विजय कुमार अग्रवाल
हिम्मत एवम साहस
हिम्मत एवम साहस
मधुसूदन गौतम
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
Neeraj Agarwal
अमीर
अमीर
Punam Pande
अगर हमारा सुख शान्ति का आधार पदार्थगत है
अगर हमारा सुख शान्ति का आधार पदार्थगत है
Pankaj Kushwaha
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
Sanjay ' शून्य'
दूरियां भी कभी कभी
दूरियां भी कभी कभी
Chitra Bisht
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
🙅दद्दू कहिन🙅
🙅दद्दू कहिन🙅
*प्रणय*
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
धधको।
धधको।
पूर्वार्थ
तुम्हारी शरारतें
तुम्हारी शरारतें
Dr. Rajeev Jain
जाति बनाने वालों काहे बनाई तुमने जाति ?
जाति बनाने वालों काहे बनाई तुमने जाति ?
शेखर सिंह
वो भी एक समय था जब...
वो भी एक समय था जब...
Ajit Kumar "Karn"
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
राजनीति और वोट
राजनीति और वोट
Kumud Srivastava
2971.*पूर्णिका*
2971.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"खबर"
Dr. Kishan tandon kranti
हद
हद
Ajay Mishra
*राधा को लेकर वर्षा में, कान्हा छाते के संग खड़े (राधेश्यामी
*राधा को लेकर वर्षा में, कान्हा छाते के संग खड़े (राधेश्यामी
Ravi Prakash
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
Atul "Krishn"
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
Rituraj shivem verma
एक क़ता ,,,,
एक क़ता ,,,,
Neelofar Khan
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
इश्क इवादत
इश्क इवादत
Dr.Pratibha Prakash
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
Manisha Manjari
कुछ भागे कुछ गिर गए,
कुछ भागे कुछ गिर गए,
sushil sarna
अजन्मी बेटी का प्रश्न!
अजन्मी बेटी का प्रश्न!
Anamika Singh
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
Rekha khichi
Loading...