ज़िन्दगी दो कदम तू भी।
ज़िन्दगी दो कदम तू भी तो चल मेरे साथ…
अकेला चलते-चलते अबतो थक गया हूं मैं।।1।।
आ बैठ मेरे पास कर कुछ थोड़ी सी बात….
तन्हा खुद कहते-सुनते अबतो रह गया हूं मैं।।2।।
शिकवा नही है तुझसे गुज़ारिश सी है मेरी…
दे सुकूँ के थोड़े से पल गमों से भर गया हूं मैं।।3।।
हो गया हूं बड़ा ही तन्हा तेरे इस सफर में…
हमसफ़र है ना कोई राहों पर रुक गया हूं मैं।।4।।
यूँ गुमसुम सी तू कब तक रहेगी मेरे साथ…
ज़िंदा होकर भी लगे जैसेअब मर गया हूं मैं।।5।।
मयखाने महफ़िल में आज देर तक रुका…
हो गयीं थी काफी ही रात तब घर गया हूं मैं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ