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19 Jan 2022 · 1 min read

ज़िन्दगी की किताब

यूं तो लिखते गए हम काफी कुछ,
ज़िन्दगी की किताब में,
और पन्नों में दर्ज होते गए ,
किस्से, शब्दों के लिबाज़ में,
कोई मुड़ गया सफ़हा,
कितने ही फट गए औराक,
पर हर आफत से हम ज़िन्दगी की,
लड़ते रहे बेबाक,
खुदा की कलम है, ये लिखती है बिना रुके,
चलाना है कैसे इसे, वो है तुम्हारा काम,
कोसो किस्मत को,वक़्त को या इस दौर को,
खुद की ही ज़िन्दगी बयां, करेगी ये किताब ।

◆◆©ऋषि सिंह “गूंज”

Language: Hindi
197 Views
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