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16 Oct 2020 · 1 min read

ज़िन्दगी की इक दवा सा हो गया

दर्द जब हद से ज़ियादा हो गया
ज़िन्दगी की इक दवा सा हो गया

हार किस्मत में मेरी थी लाज़मी
फिर से सीधा उसका पासा हो गया

कुछ गवाही भी नहीं मज़बूत थी
कुछ मेरा दावा पुराना हो गया

दोस्त बनकर रह रहा था साथ जो
वक़्ते-मुश्क़िल वो पराया हो गया

राज़ जो मालूम था बस आपको
हर गली क्यूँ इसका चर्चा हो गया

जैसे चाहो आज़माकर देख लो
दिल का रिश्ता अब तो पक्का हो गया

जब किसी की आँख से आँसू बहे
फिर नुमाया उसका दुखड़ा हो गया

गोलियाँ जब बेगुनाहों पर चलीं
हाल वादी का घिनौना हो गया

मोम की मानिंद था ‘आनन्द’ भी
दिल भी पत्थर सा तो उसका हो गया

– डॉ आनन्द किशोर

1 Like · 371 Views
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