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7 Apr 2022 · 1 min read

” ज़िंदा ज़ख़्म “

शीर्षक – ” ज़िंदा ज़ख़्म ”

भूलकर भी कैसे भूलाऊँ तुमको ।
ज़ख़्म ये… कैसे दिखाऊँ तुमको ।।

रूठकर बैठे हो.. मेरी जाँ मुझसे ।
तुम बताओ कैसे मनाऊँ तुमको ।।

मेरी रूह में……. घर कर गये हो ।
वजूद से अपने कैसे हटाऊँ तुमको ।।

बहुत ऐहतियात से तोड़ा दिल को मेरे ।
अब कौनसे खिलौने से रिझाऊँ तुमको ।।

करके बेवफ़ाई इश्क़ में सताया ” काज़ी ” ।
अब कौनसे रिश्ते से……. सताऊँ तुमको ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम

28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इक़बाल कालोनी ,
इंदौर ,मध्यप्रदेश

108 Views
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