#ग़ज़ल-37
ज़िंदगी ज़ोश भर जी लीजिए
प्यार का ज़ाम गर पी लीजिए/1
लोग चाहे कहें कुछ भी तुझे
गौर अपनी रज़ा ही कीजिए/2
चाह हो चाँद भी आए ज़मीं
आइना दिल बना सी लीजिए/3
शौक़ दिल आशियाना ख़ोज़ ले
मौज़ का ये सिला भी लीजिए/4
साथ प्रीतम तिरा हो यूँ लगे
जल मिले तो समझ घी लीजिए/5
-आर.एस.बी.प्रीतम
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