ज़िंदगी से क्या शिकायत दोस्तो
ज़िंदगी से क्या शिकायत दोस्तो
है खुदा की ये इनायत दोस्तो
हो रही है गुदगुदी ये सोचकर
कर न बैठें हम मुहब्बत दोस्तो
जुल्फ़ उड़ती ये हवा में देखिए
कर रही हैं क्या कयामत दोस्तो
पास रहकर भी हुए हम अजनबी
दरमियां कैसी मसाफ़त दोस्तो
आजकल माहौल कैसा हो गया
चल रही कैसी सियासत दोस्तो
—-सागर