*ज़िंदगी ने अब किया*
2122 2122 2122 212
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
ज़िंदगी ने अब किया दिल को हमारे शाद है
फूल जैसी हर डगर से हो रहे आबाद है
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प्रीत के ही सुर सजे हैं जग गये सपने सभी
उलझनें सारी मिटी ग़म भी हुआ नाशाद है
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चाँदनी भी चाँद से अब तो फ़कत शरमा रही
उन सितारों में बसी सी इक सुहानी याद है
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जग उजाला सा करें रोशन हुए वो दीप भी
साज है अंतर सजे अब बज रहा सा नाद है
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हौंसले की जीत होती बात ये सबने कही
मंजिलें हैं वो मिली जिनसे बशर आबाद है
धर्मेन्द्र अरोड़ा