ज़िंदगीनामा
मेरी सांसो का हिसाब रख ऐ ज़िन्दगी
मेरी उम्र का गणित थोड़ा कच्चा है
मेरे हर लम्हे को खर्चना हिफाज़त से
मेरे तज़ुर्बे का मुनीम थोड़ा कच्चा है
इतनी भी दौड़ सही नही ए ज़िन्दगी
मेरे इरादो का खिलाड़ी अभी कच्चा है
इतनी भी बेरुखी ठीक नही ए ज़िन्दगी
जब चले जाएंगे तो पछताओगी।
मनु श्वेता मुज़फ्फरनगर